राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक – NABARD

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संक्षिप्त विवरण

विभाग का नामNABARD
Full Form Of NABARDNational Bank for Agriculture and Rural Development
स्थापना12 जुलाई 1982
अधिनियम1981
समितिशिवारमन समिति
मुख्यालयमुंबई
चैयरमेनडॉ गोविंद राजुलू चिंतला

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक क्या है

वर्ष 1945 में गाडगिल समिति ने यह सुझाव दिया था कि सरकारी संस्थयो के पूरक के रूप में भारत के प्रत्येक प्रान्त में कृषि खाद्य निगम स्थपित किया जाना चाहिए।सरकारी खाद्य समितियों को ही संगठित कर ग्रामीण साख की व्यवस्था करनी चाहिए।1 जुलाई ,1963 को कृषि पुनर्वित्त निगम की स्थापना की गई।अप्रैल,1975 में इसका नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक कर दिया गया।यद्दपि कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम भारतीय कृषि के विभिन्न मतों के लिए ऋण देता है किंतु ,फिर भी12 जुलाई,1982 को NABARD की स्थापना की गई थी।इस बैंक की पूंजी 100 करोड़ है,जिसे भारत सरकार और रिज़र्व बैंक ने आधा-आधा प्रदान किया है।

NABARD के कार्य

  •  ग्रामीण क्षेत्रो के विकास के लिये लघु उद्योग, कुटीर उद्योग एवं दस्तकारी की व्यवस्था करना।
  • राज्य सरकारी बैंकों तथा आंचलिक बैंको को 18 मास तक के अल्पकालीन पुनर्वित्त की व्यवस्था करना।
  • भूमि विकास बैंको तथा अनुसूचित व्यापार बैंको,राज्य सरकारी बैंकों तथा ग्रामीण विकास बैंको के लिये 24 वर्ष तक के लिए दिए गए दीर्घकालीन ऋणों की व्यवस्था करना।
  • राज्य सरकारों को सहकारी समितियों के पूंजी में अंश खरीदने के लिए 20 वर्ष तक की अवधि में ऋण देंना।

NABARD के उद्देश्य / Objectives of NABARD

नाबार्ड के मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार हैं :-

  • नाबार्ड ग्रामीण विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने, कृषि के लिए पुनर्वित्त सहायता प्रदान करता है।
  • यह लघु उद्योगों को सभी आवश्यक वित्त और सहायता भी प्रदान करता है।
  • राज्य सरकारों के समन्वय में नाबार्ड कृषि प्रदान करता है।
  • यह कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने के माध्यम से छोटे और मामूली सिंचाई में सुधार करता है।
  • यह कृषि, ग्रामीण उद्योगों में अनुसंधान एवं विकास करता है।
  • नाबार्ड अपनी पूंजी में योगदान देकर कृषि उत्पादन में शामिल विभिन्न संगठनों को बढ़ावा देता है।

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