पदार्थ क्या है | पदार्थ की परिभाषा | अवस्थाएं एवं परिवर्तन

पदार्थ क्या है (What is the substance,padaarth kya hai) :-  इस पोस्ट के माध्यम से आज हम ,पदार्थ क्या है , पदार्थ की अवस्थाए ,पदार्थों का वर्गीकरण,पदार्थ का भौतिक स्वरूप ,Physical Nature of Matter,क्या पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है आदि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। आप अच्छे से इनके बारे में अध्ययन करें। ताकि आगे आने वाले विभिन प्रतियोगी परीक्षाओ जैसे राजस्थान रीट (Rajasthan REET),IIT, NIT, AIIMS Exam आदि में आप अच्छे नम्बर प्राप्त कर सको। तो आइये देखते है पदार्थ क्या है के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी।

पदार्थ क्या है/What is The Substance

रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में पदार्थ (padaarth) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे द्रव्यमान होता है। पदार्थ और ऊर्जा दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। विज्ञान के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और ऊर्जा का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन आइन्स्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 के अनुसार होता है।

जैसे हवा, पानी, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, चीनी, रेत, चांदी , स्टील, लोहे, लकड़ी, बर्फ, शराब, दूध, तेल, कार्बन डाइऑक्साइड, भाप, कार्बन, सल्फर, चट्टानऔर खनिज आदि। ये विभिन्न प्रकार के पदार्थ हैं जो स्थान घेरते हैं। ये ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा किसी भी रूप में हो सकते हैं।

पदार्थ की परिभाषा/Definition of substance

पदार्थ की आम परिभाषा है कि ‘कुछ भी’ जिसका कुछ-न-कुछ वजन हो और कुछ-न-कुछ ‘जगह घेरती’ हो उसे पदार्थ कहते है। उद्धरण के तौर पर, एक कार जिसका वजन होता है और वह जगह भी घेरती है उसे पदार्थ कहेंगे।

पदार्थ के कणों की विशेषताएँ

  • पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं :- सभी पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने हैं। ये कण इतने छोटे हैं कि इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता। पदार्थ के छोटे-छोटे कणों से बने होने की सत्यता को कुछ छोटे क्रियाकलापों द्वारा परखा जा सकता है, जैसे कि जब नमक या चीनी को पानी में घोला जाता है, तो वे पानी में विलीन हो जाते हैं।
  • पदार्थ के कणों के बीच स्थान होता है :- पदार्थ सूक्ष्म कणों से बने होते हैं तथा उन कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
  • पदार्थ के कण निरंतर घूमते रहते हैं :- पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात उनमें गतिज उर्जा होती है।
  • पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं :- पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है जो पदार्थ के कणों को एक साथ जोड़े रखता है। पदार्थ के कणों के बीच यह आकर्षण बल का सामर्थ्य अलग अलग पदार्थों में अलग अलग होता है।

पदार्थ का वर्गीकरण/पदार्थ की अवस्थाएं

पदार्थ का वर्गीकरण दो प्रकार किया जाता है :-

  • भौतिक वर्गीकरण (Physical classification)
  • रासायनिक वर्गीकरण (Chemical classification)

भौतिक वर्गीकरण/Physical Classification

ताप तथा दाब की विभिन्न परिस्थितियों पर मुख्य रुप से पदार्थ 5 अवस्थाओं में पाया जाता है। ये निम्नलिखित है
  • ठोस  (Solid)
  • द्रव  (Liquid)
  • गैस (Gas)
  • प्लाज़्मा (Plasma)
  • बोस आइंस्टीन कंडन्सेट (Bos Einstein Condensate)

ठोस (Solid)

यह पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन तथा आकार दोनों निश्चित होता है। ठोस कणों के बीच लगने वाले बल इतने प्रबल होते हैं कि इनके घटक कण किसी भी प्रकार की गति नहीं कर पाते हैं औऱ इसी कारण आकार मे निश्चित होते हैं तथा जिस कन्टेनर मे रखे जाते हैं उसका आकार ग्रहण नहीं करते हैं।

ठोस पदार्थों का एक निश्चित त्रिविमीय क्रिस्टल जालक होता है अतः संपीड़न करने पर इनका आयतन परिवर्तित नहीं होता है। ठोस पदार्थों में अंतराकणीय दूरी न्यूनतम होती है तथा इनकी संपीड्यता (compressibility) भी बहुत कम होती है।
ठोस पदार्थों का मुक्त प्रसार (free expansion) नहीं होता है जबकि तापीय प्रसार भी बहुत कम होता है एवं दृढ़ होने के कारण इन में बहने का गुण नहीं पाया जाता है।

ठोस अवस्था के गुणधर्म

1.ये निश्चित द्रव्यमान, आयतन एवं आकार के होते हैं।
2.इनमें अंतराआण्विक दूरियाँ लघु होती हैं।
3.इनमें अंतराआण्विक बल प्रबल होते हैं।
4.इनके अवयवी कणों (परमाणुओं, अणुओं अथवा आयनों) की स्थितियाँ निश्चित होती हैं और यह कण केवल अपनी माध्य स्थितियों के चारों ओर दोलन कर सकते हैं।
5.ये असंपीड्य और कठोर होते हैं।

द्रव (Liquid )

द्रव अवस्था में कणों की गतिज ऊर्जा ठोस अवस्था की अपेक्षा कम होती है। द्रव अवस्था में कणों का कोई निश्चित व्यवस्थापन (arrangement) नहीं होता है फिर भी यह कण इतने समीप होते हैं कि इनका आयतन  निश्चित होता है।

द्रव अवस्था में अंतराकणीय बल इतने प्रबल होते हैं कि हैं कि घटक कणों को एक निश्चित सीमा रेखा में बांधकर रखते हैं किंतु यह कण इन्ही सीमाओं के अंदर स्थानांतरीय गति करते हैं। अतः इनका आकार निश्चित नहीं होता है तथा यह जिस कंटेनर में रखे जाते हैं उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैं।

द्रव पदार्थों की संपीड्यता ठोस की तरह ही कम होती है। द्रव पदार्थों में मुक्त प्रसार नहीं होता है तथा तापीय प्रसार कम होता है। यह ठोसों से  निम्न घनत्व के होते हैं तथा इनमें बहने का गुण पाया जाता है।

गैस (Gas)

यह पदार्थ की सबसे सरल अवस्था है। इसमें घटक कणों के मध्य आकर्षण बल कार्य नहीं करता है जिससे यह कण स्वतंत्र रूप से  गति करने के लिए मुक्त होते हैं। इन के कणों में किसी भी स्थान को पूरी तरह से भरने की प्रवृत्ति होती है अतः इनका आकार एवं आयतन निश्चित नहीं होता है।
गैस अवस्था में अंतराकणीय दूरी पदार्थ की अन्य अवस्थाओं की अपेक्षा अधिकतम होती हैं। गैसों की संपीड्यता उच्च होती है तथा इसी कारण दाब बढ़ाने पर इनका आयतन घटता है। इनमें अनंत तक प्रसार होता है एवं इनका तापीय प्रसार भी उच्च होता है।
गैस के अणुओं के बीच लगने वाले अंतराणुक बलों के क्षीण होने के कारण गैसों के घनत्व कम होते हैं। गैसों की गुणों की व्याख्या उसकी मात्रा ताप दाब एवं आयतन के पदों में की जाती है।

प्लाजमा (Plasma)

प्लाज्मा एक गर्म आयनित गैस है जिसमें धनात्मक आयनों और ऋणात्मक आयनों की लगभग बराबर संख्या होती है। प्लाज्मा की विशेषताएं सामान्य गैसों से काफी अलग हैं इसलिए प्लाज्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था माना जाता है। उदाहरण के लिए, क्योंकि प्लाज्मा विद्युत रूप से आवेशित कणों से बने होते हैं, इ
वे विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से काफी प्रभावित होते हैं जबकि सामान्य गैस ऐसा नहीं करते हैं। प्लाज्मा में धनावेश और ऋणावेश की स्वतंत्र रूप से गमन करने की क्षमता प्लाज्मा को विद्युत चालक बनाती है।

गैस की तरह प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता ,लेकिन गैस के विपरीत किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक फिलामेंट, पुंज या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है।

बोस-आइंस्टीन कन्डनसेट (Bose-Einstein condensate)

इसको जानने से पहले यह  बोसॉन कण के बारे में जानना जरूरी है।

ब्रह्मांड में प्रत्येक कण को दो श्रेणियों में से एक में रखा जा सकता है – फर्मियन (fermions) और बोसोन्स (bosons)। आपके आस-पास के अधिकांश पदार्थों के लिए फर्मियन ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन शामिल हैं। जब आप एक साथ कई फर्मियन मिलते हैं, तो वे एक बोसोन बन सकते हैं।

बोस-आइंस्टाइन संघनित(Bose–Einstein condensate) पदार्थ की एक अवस्था जिसमें बोसॉन की तनु गैस को परम शून्य ताप (0 K या −273.15 °C) के बहुत निकट के ताप तक ठण्डा कर दिया जाता है।पदार्थ की इस अवस्था की सबसे पहले भविष्यवाणी 1924-25 में सत्येन्द्रनाथ बोस ने की थी। अतः उन्हीं के नाम पर इस पदार्थ का नाम रखा गया है।

रासायनिक वर्गीकरण/Chemical classification

  • शुद्ध पदार्थ :- 1. तत्व/परमाणु  2.यौगिक/अणु
  • अशुद्ध/मिश्रण :- 1) समांग 2) विषमांगी

तत्व (Element)/परमाणु

वह शुद्ध पदार्थ जिसमें किसी ज्ञात भौतिक एव रासायनिक विधि से न तो दो या दो से अधिक पदार्थों में विभाजित किया जा सकता है और न हीं पदार्थों के योग से बनाया जा सकता है जैसे सोना चांदी ऑक्सीजन ।
यह प्रकृति ने स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है।

योगिक (compound)/अणु

वह शुद्ध पदार्थ जो रासायनिक रुप से दो या दो से अधिक तत्वों के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक सहयोग से बनाया है योगिक कहलाता है। उदाहरण जल।

मिश्रण (Mixture)

मैं पदार्थ जो दो से अधिक तत्वों या योगिक के किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है मिश्रण कहलाता है।

समांगी मिश्रण

निश्चित अनुपात में अब लोगों को मिलाने से समान मिश्रण का निर्माण होता है। इसके प्रत्येक भाग के गुण धर्म एक समान होते हैं जैसे चीनी या नमक के विलियन।

विसमांगी मिश्रन

आनिश्चित अनुपात में अवयव को मिलाने से विशमागी मिश्रण का निर्माण होता हे इसके प्रभाव के गुण एवं उसके संगठन भिन्न-भिन्न न होते हैं। जैसे बारुद ,कुहासा।

मिश्रणों का पृथक्करण

मिश्रण में उपस्थित घटकों को विभिन्न विधियों द्वारा अलग-अलग किया जाता है। मिश्रणों के पृथक्करण की कुछ सामान्य विधियों निम्नलिखित हैं:-

  • रवाकरण:- इस विधि के द्वारा अकार्बनिक ठोस मिश्रण को अलग किया जाता है।
  • आसवन विधि:- जब दो द्रवों के क़्वथनांकों में अन्तर अधिक होता है, तो उसके मिश्रण को आसवन विधि से पृथक् करते हैं।
  • ऊर्ध्वपातन:- इस विधि द्वारा दो ऐसे ठोसों के मिश्रण को अलग करते हैं, जिसमें एक ठोस ऊर्ध्वपातित हो, दूसरा नहीं।
  • आंशिक आसवन:- इस विधि से वैसे मिश्रित द्रवों को अलग करते हैं, जिसमें क़्वथनांकों में अन्तर बहुत कम होता है।
  • प्रभाजी आसवन:- विभिन्न क्वथनांक वाले मिश्रित द्रवों को भिन्न-भिन्न तापों पर आसुत करके उन्हें पृथक् करने की प्रकिया को प्रभाजी आसवन कहते है।
  • वर्णलेखन:- यह विधि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी मिश्रण के विभिन्न घटकों की अवशोषण (absorption) क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।
  • भाप आसवन:- इस विधि से कार्बनिक मिश्रण को शुद्ध किया जाता है।

पदार्थ की अवस्था परिवर्तन

द्रवणांक

गर्म करने पर ठोस पदार्थ द्रव अवस्था में परिवर्तित होते हैं, तो उनमें से अधिकांश में यह परिवर्तन एक विशेष दाब पर तथा एक नियत ताप पर होता है। यह नियत ताप वस्तु का द्रवणांक कहलाता है।

हिमांक

किसी विशेष दाब पर वह नियत ताप जिस पर कोई द्रव जमता है, हिमांक कहलाता है।

आयतन परिवर्तन

  • क्रिस्टलीय पदार्थों में से अधिकांश पदार्थ गलने पर आयतन में बढ़ जाते हैं, ऐसी दशा में ठोस अपने ही गले हुए द्रव में डूब जाता है।
  • ढला हुआ लोहा, बर्फ, एन्टिमोनी, बिस्मथ, पीतल आदि गलने पर आयतन में सिकुड़ते हैं। अतः इस प्रकार के ठोस अपने ही गले द्रव में प्लवन करते रहते हैं। इसी विशेष गुण के कारण बर्फ़ का टुकड़ा गले हुए पानी में प्लवन करता है।
  • साँचे में केवल वे पदार्थ ढ़ाले जा सकते हैं, जो ठोस बनने पर आयतन में बढ़ते हैं, क्योंकि तभी वे साँचे के आकार को पूर्णतया प्राप्त कर सकते हैं।
  • मुद्रण धातु ऐसे पदार्थ के बने होते हैं, जो जमने पर आयतन में बढ़ते हैं।
  • चाँदी या सोने की मुद्राएँ ढाली नहीं जातीं, केवल मुहर लगाकर बनायी जाती हैं।
  • मिश्रधातुओं का द्रवणांक उन्हें बनाने वाले पदार्थों के गलनांक से कम होता है क्योंकि अशुद्धियाँ डाल देने पर पदार्थ का गलनांक घट जाता है।

हिमकारी मिश्रण

किसी ठोस को उसके द्रवणांक पर गलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होगी जो उसकी गुप्त ऊष्मा होगी। हिमकारी मिश्रण का बनना इसी सिद्धांत पर आधारित है।

वाष्पीकरण

द्रव से वाष्प में परिणत होने कि क्रिया ‘वाष्पीकरण’ कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है-

  • वाष्पन
  • क्वथन

पदार्थ क्या है

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